Hindi Urdu Kavita

Writer's Spirit

Menu
  • Hindi Kavita
    • रामधारी सिंह “दिनकर”
  • Urdu kavita
Menu
  • पाठकों के लिए
  • रामधारी सिंह "दिनकर"
  • स्वैच्छिक योगदानकर्ता
  • Hindi Kavita
  • रश्मिरथी
  • रश्मिरथी / रामधारी सिंह “दिनकर” (1954)
  • रश्मिरथी प्रथम सर्ग / भाग 6
  • रश्मिरथी प्रथम सर्ग / भाग 5
  • रश्मिरथी प्रथम सर्ग / भाग 4
  • रश्मिरथी प्रथम सर्ग / भाग 3

Category: रश्मिरथी

रश्मिरथी / रामधारी सिंह “दिनकर” (1954)

Posted on March 25, 2024March 25, 2024 by Hindi Kavita

रश्मिरथी / कथावस्तुप्रथम सर्गरश्मिरथी / प्रथम सर्ग / भाग 1रश्मिरथी / प्रथम सर्ग / भाग 2रश्मिरथी / प्रथम सर्ग / भाग 3रश्मिरथी / प्रथम सर्ग / भाग 4रश्मिरथी / प्रथम सर्ग / भाग 5रश्मिरथी / प्रथम सर्ग / भाग 6रश्मिरथी / प्रथम सर्ग / भाग 7द्वितीय सर्गरश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 1रश्मिरथी / द्वितीय…

Read more

रश्मिरथी प्रथम सर्ग / भाग 6

Posted on February 14, 2024February 19, 2024 by Hindi Kavita

लगे लोग पूजने कर्ण को कुंकुम और कमल से,रंग-भूमि भर गयी चतुर्दिक् पुलकाकुल कलकल से।विनयपूर्ण प्रतिवन्दन में ज्यों झुका कर्ण सविशेष,जनता विकल पुकार उठी, ‘जय महाराज अंगेश। ‘महाराज अंगेश!’ तीर-सा लगा हृदय में जा के,विफल क्रोध में कहा भीम ने और नहीं कुछ पा के।‘हय की झाड़े पूँछ, आज तक रहा यही तो काज,सूत-पुत्र किस…

Read more

रश्मिरथी प्रथम सर्ग / भाग 5

Posted on February 14, 2024February 19, 2024 by Hindi Kavita

‘करना क्या अपमान ठीक है इस अनमोल रतन का,मानवता की इस विभूति का, धरती के इस धन का।बिना राज्य यदि नहीं वीरता का इसको अधिकार,तो मेरी यह खुली घोषणा सुने सकल संसार। ‘अंगदेश का मुकुट कर्ण के मस्तक पर धरता हूँ।एक राज्य इस महावीर के हित अर्पित करता हूँ।’रखा कर्ण के सिर पर उसने अपना…

Read more

रश्मिरथी प्रथम सर्ग / भाग 4

Posted on February 14, 2024February 19, 2024 by Hindi Kavita

‘पूछो मेरी जाति , शक्ति हो तो, मेरे भुजबल से’रवि-समान दीपित ललाट से और कवच-कुण्डल से,पढ़ो उसे जो झलक रहा है मुझमें तेज-प़काश,मेरे रोम-रोम में अंकित है मेरा इतिहास। ‘अर्जुन बङ़ा वीर क्षत्रिय है, तो आगे वह आवे,क्षत्रियत्व का तेज जरा मुझको भी तो दिखलावे।अभी छीन इस राजपुत्र के कर से तीर-कमान,अपनी महाजाति की दूँगा…

Read more

रश्मिरथी प्रथम सर्ग / भाग 3

Posted on February 14, 2024February 19, 2024 by Hindi Kavita

फिरा कर्ण, त्यों ‘साधु-साधु’ कह उठे सकल नर-नारी,राजवंश के नेताओं पर पड़ी विपद् अति भारी।द्रोण, भीष्म, अर्जुन, सब फीके, सब हो रहे उदास,एक सुयोधन बढ़ा, बोलते हुए, ‘वीर! शाबाश !’ द्वन्द्व-युद्ध के लिए पार्थ को फिर उसने ललकारा,अर्जुन को चुप ही रहने का गुरु ने किया इशारा।कृपाचार्य ने कहा- ‘सुनो हे वीर युवक अनजान’भरत-वंश-अवतंस पाण्डु…

Read more

रश्मिरथी प्रथम सर्ग / भाग 2

Posted on February 14, 2024February 19, 2024 by Hindi Kavita

अलग नगर के कोलाहल से, अलग पुरी-पुरजन से,कठिन साधना में उद्योगी लगा हुआ तन-मन से।निज समाधि में निरत, सदा निज कर्मठता में चूर,वन्यकुसुम-सा खिला कर्ण, जग की आँखों से दूर। नहीं फूलते कुसुम मात्र राजाओं के उपवन में,अमित बार खिलते वे पुर से दूर कुञ्ज-कानन में।समझे कौन रहस्य ? प्रकृति का बड़ा अनोखा हाल,गुदड़ी में…

Read more

रश्मिरथी प्रथम सर्ग / भाग 1

Posted on February 14, 2024February 19, 2024 by Hindi Kavita

‘जय हो’ जग में जले जहाँ भी, नमन पुनीत अनल को,जिस नर में भी बसे, हमारा नमन तेज को, बल को।किसी वृन्त पर खिले विपिन में, पर, नमस्य है फूल,सुधी खोजते नहीं, गुणों का आदि, शक्ति का मूल। ऊँच-नीच का भेद न माने, वही श्रेष्ठ ज्ञानी है,दया-धर्म जिसमें हो, सबसे वही पूज्य प्राणी है।क्षत्रिय वही,…

Read more

रश्मिरथी कथावस्तु

Posted on February 14, 2024February 19, 2024 by Hindi Kavita

रश्मिरथी का अर्थ होता है वह व्यक्ति, जिसका रथ रश्मि अर्थात सूर्य की किरणों का हो। इस काव्य में रश्मिरथी नाम कर्ण का है क्योंकि उसका चरित्र सूर्य के समान प्रकाशमान है कर्ण महाभारत महाकाव्य का अत्यन्त यशस्वी पात्र है। उसका जन्म पाण्डवों की माता कुन्ती के गर्भ से उस समय हुआ जब कुन्ती अविवाहिता…

Read more

Our Facebook Page

© 2025 Hindi Urdu Kavita | Powered by Minimalist Blog WordPress Theme